सच में भूत आया

 हेल्लो, दोस्तों यह ज्यादा पुरानी कहानी नहीं है। एक दिन एक लड़का जो कि एक कंपनी में काम किया करता था। उसे किसी भी बहुत प्रेत पर कोई विश्वास नहीं था।

वह भूत प्रेत को बस दिमाग का भर्म मानता था। एक दिन उसके कंपनी में कुछ काम बढ़ गया था। जिसके कारण उसे घर वापस आने में देर हो गया। वह अपने ऑफिस से देर रात को निकला।

वह अपने बाइक से था। कुछ दूर चलने के बाद उसका बाइक ख़राब हो गया। अब वह अपनी बाइक को पैदल ही लेकर चल दिया।

कुछ दूर के बाद उसे एक बस स्टॉप दिखा। वह कुछ देर वहाँ रुक गया। उसके पास एक साधु आकर बैठ गया।

साधु अपने पास एक बीड़ी रखा हुआ था। वह अजीब तरीके से उसे पी रहा था। उस लड़के की एक आदत थी कि वह किसी से भी बात करना शुरू कर देता था।

वह इस साधु से भी बात करने लगा। बात ही बात में इस लड़के ने कहा, बाबा! मैं किसी भी भूत प्रेत को नहीं मानता हू। बस सब झूठी बातें है।

साधु ने कहा, तुम भले ही भूत प्रेत को मानों या फिर न मानों लेकिन तुम यह न कहो कि भूत प्रेत नहीं होते है। यह सब कुछ होते है।

इस पर उस लड़के को थोड़ी सी हंसी आ गई। उसने कहा, भूत होते है तो क्यों हमें नहीं दिखते है। क्या आप मुझे अभी कोई भूत दिखा सकते है।

साधू को लग गया कि अब इसे जरूर ही भूत दिखाना होगा। साधू ने लड़के को श्मशान घाट की ओर चलने को कहा। फिर क्या था वह दोनों चल दिए।

रास्ते में उस लड़के को थोड़ा डर लगने लगा। फिर भी वह अपने डर को कम करके आगे बढ़ते जा रहा था।

कुछ देर के बाद वह श्मशान घाट पहुंच गए। श्मशान घाट में अभी कुछ लासे जल रही थी। साधू ने उसको एक ऐसे स्थान पर बैठाया जहा कुछ समय पहले की लास जली थी।

साधु ने जमीन में एक लोहे का कील गाड़ दिया। उसमे एक सफ़ेद धागा बांध दिया। इस धागे का अंतिम छोर उस लड़के को पकड़ने को कहा।

अब उस लड़के को हद से ज्यादा डर लग रहा था। उसकी साँस तेज हो रही थी। इसके साथ ही उसके हाथ-पैर भी काँप रहे थे। फिर भी उसने धागे को पकड़ लिया।

साधु ने कुछ बतासा को चार जगह पर रख दिया। सारे बतासे उस धागे की पास ही एक लाइन में रखे हुए थे। उसके बाद साधु ने लड़के को सावधान किया। अभी कुछ आत्मा इसको खाने को आएगी।

जब तक वह इसको खाकर चले न जा जाए तब तक तुम अपने हाथ के धागे को मत छोड़ना। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम्हे नुकसान हो सकता है। फिर साधु से मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया।

कुछ मंत्र पढ़ने के बाद साधु ने उस लड़के को आँख बंद करने को कहा। फिर कुछ देर के बाद ही आँख खोलने को कहा।

जब उस लड़के ने आँख खोला तो वह जो देख रहा था। उसे उसके ऊपर विश्वास ही नहीं हो रहा था। वास्तव में वहाँ चार आत्मा थी. जो कि बतासे को खा रही थी।

लेकिन जब उसने यह देखा कि उसके पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति की आत्मा भी वहा है। जो की कुछ दिन पहले ही मर गए थे। तो उसके हाथ से धागा छूट गया।

अब वहाँ पर वह साधु भी नहीं था। वह लड़का तेजी से श्मशान घाट से अपने घर की ओर भागने लगा। जब वह अपने घर की ओर जा रहा था तो उसे पीछे से कोई उसका नाम लेकर बुला रहा था।

उसको पीछे से कई तरह की आवाज आ रही थी। उस लड़के ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

अपने घर जाने के बाद उसने यह सब कुछ अपने माता-पिता से बताया। फिर वह अपने कमरे में सो गया।

अगले दिन उसकी आँख उसी श्मशान घाट में खुली और उसी स्थान पर जहा पर उसने आत्मा को देखा हुआ था। इसके बाद वह दिमागी तौर पर बीमार रहने लगा।

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